पल पल तरसते थे जिस पल के लिए,
वो पल आया, एक पल के लिए,
चाहत
ऐसी मुस्कराहट भरी नज़रो से ना देखो मुझे,
एक पतली सी चादर लो, उसमे समेटो मुझे।
इस जलते हुए उजाले को अँधेरा सा करदो,
बस अब वक़्त है, चाहने का मुझे।।
क़दम - क़दम
मैं हर घड़ी क़दम - क़दम बदलता हूँ, युहीं,
यह वक़्त भी मुझे देखता हैं, युहीं।
मैं कल की बाँहों में हूँ खड़ा,
यह पल भी मुझे आख़िर रुला ही गया, युहीं।।