ऐसी मुस्कराहट भरी नज़रो से ना देखो मुझे,
एक पतली सी चादर लो, उसमे समेटो मुझे।
इस जलते हुए उजाले को अँधेरा सा करदो,
बस अब वक़्त है, चाहने का मुझे।।
ऐसे ना दूर बैठे, सोचो मुझे,
अपनी बाहे फैलाकर, खींचो मुझे।
अपनी जुल्फे खोलकर, रात सी करदो,
बस अब वक़्त है, चाहने का मुझे।।
अंशुल सिंघल